एक दिन मैं अपनी आपी (दादी) के साथ कुछ काम कर रही थी। काम करते-करते आपी एक गाना गाने लगे। आपी से गाना सुनकर मुझे काफी मज़ा आता है क्योंकि बचपन का ज्यादा वक्त मैंने मेरी आपी-तेते (दादी-दादु )के साथ ही बिताया है और साथ ही साथ उन्होंने मुझे बहुत सी ऐसी चीज़े भी सिखाई है जो आज के वक्त मे मेरे बहुत काम आती है। आपी को पारम्परिक लोकगीत व किन्नौरी नृत्य करना काफ़ी पसंद है इसीलिए जब भी उन्हें गाना गाने व नृत्य करने का मौका मिले वह कभी भी उस मौके को जाने नहीं देती।
फ़ोटो: मैं और मेरी आपी
मेरी आपी ने जो गाना गया था वह हमारे किन्नौर में घटी एक सच्ची घटना थी। बचपन से ही देखती आई हूं किन्नौर के पारम्परिक लोकगीत सच्ची घटनाओं या त्योहारों, देव समाज से जुड़ी मान्यताओं पर ही आधारित होते है।
ठाकुर मोनी का जो किन्नौरी लोक गीत है वह एक दुखी घटना पर आधारित है।
ठाकुर मोनी एक महिला का नाम था जो किन्नौर के कामरु गांव के दुध्यान खानदान की बेटी थी। दुध्यान उस ज़माने में कामरू गांव का एक बड़ा खानदान था। पुराने जमाने की मशहूर कहावत है की दुध्यान खानदान के लोग उस ज़माने में काफ़ी अमीर थे इसलिए वह इस बात का घमंड भी लगाते थे की वे लोग गांव की पहाड़ियों को नमक से ढक सकते है क्योंकि नमक उस ज़माने में काफ़ी महंगा पाया जाता था।
फ़ोटो: ठाकुर मोनी का गांव कामरू
फ़ोटो आभार अदित नेगी
ठाकुर मोनी का एक प्रेमी था जिनका नाम गंगा सुख था जो किन्नौर के सांगला गांव के रायपल्टू खानदान के बेटे थे। रायपाल्टु भी उस ज़माने में काफ़ी बड़ा व मशहूर खानदान था। उनके पास काफ़ी अधिक मात्रा में भेड़ बकरियां थी और उस समय पशु धन ही अर्थिक धन को दर्शाता था।
ठाकुर मोनी अपने प्रेमी गंगा सुख से बेहद प्रेम करती थी और वह उन्ही के साथ शादी करके अपना घर बसाना चाहती थीं। लेकिन उनके परिवार को शायद यह रिश्ता मंजूर नहीं था इसीलिए उन्होंने ठाकुर मोनी की शादी भगवान दास नाम के लड़के से करवा दी जो किन्नौर के रोगी गांव के संगच्यान खानदान के बेटे थे। संगच्यान भी रोगी गांव का एक बड़ा खानदान था और वे भी काफी अमीर थे। वह इतने अमीर थे की उनके घर को लकड़ी की कारीगरी के जगह पत्थर की कारीगरी से सजाया गया था। लकड़ी पर की जानी वाली कारीगरी किन्नौर में अधिक मात्रा में देखने को मिल जाती है।
एक दिन ठाकुर मोनी और उसके 17 सहेलियां साथ बैठकर इस विषय में चर्चा कर रही थे कि किसका दुख सबसे अधिक है। उनके बात करने पर पता चलता है कि ठाकुर मोनी का दुख सबसे ज्यादा है।
ठाकुर मोनी कहती हैं कि “मैंने तो सोचा था मैं अपने प्रेमी के साथ शादी करके सांगला गांव के तीन मंजिलें रायपाल्टू खानदान के घर जाऊंगी । लेकिन मेरे मां-बाप पापी है क्योंकि जिससे मैने प्रेम किया और जहां मैं शादी करना चाहती थी वहां मेरी शादी नहीं करवाई मेरे साथ बहुत गलत हुआ।”
फ़ोटो: ठाकुर मोनी का घर
फ़ोटो आभार अदित नेगी
पुराने जमाने में कई तरह से औरतों की बातों को दबाया व नज़रअंदाज़ किया जाता था। गाने के अंत में ठाकुर मोनी की मृत्यु उनके पति के हाथों द्वारा हो जाती है। शक के परिणाम स्वरूप हुई गलतफैमी के चलते उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है।
मेरी आपी ने मुझे बताया था कि उनके जमाने में भी इस तरह का रिवाज शामिल था जिसमें लड़कियों की बातों को नज़र अंदाज़ किया जाता था और बिना बताए उनकी शादी करवाई जाती थी। परंतु वक्त के साथ-साथ यह सब कुछ बदलता जा रहा है। लोगों में जागरूकता पैदा हो रही है और लड़कियों को भी समाज द्वारा समझा जा रहा है।
आज के वक्त लड़कियां स्वतंत्र होकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रही है और उन्हें शादी के लिए भी कोई जोर जबरदस्ती नहीं किया जाता, उनकी अपनी इच्छा के अनुसार ही शादी करवाई जाती है। आज महिलाएं स्वतंत्र होकर अपने जीवन को जीती है।
ठाकुर मोनी का जो गाना है यह कहीं साल पुराना है। मैंने अपनी आपी से इसके बारे में बात किया था कि यह गाना कब लिखा गया होगा? मेरी आपी का कहना था यह गाना उनके जन्म लेने से भी पहले का है और उनके आपी (दादी) के जमाने से चला आ रहा है।
जब कभी भी मैं इस गाने को सुनती व महसूस करती तब हमेशा यह सोच कर प्रसन्न हो जाती हूं कि मेरे परिवार और क्षेत्र की सोच काफ़ी आगे बड़ चुकी है जिसमे वो लड़कियों को समाज में कई तरह से बराबर भागीदारी रखना जानते है। 2020 की बात है जब मैं अपनी आगे की शिक्षा ग्रहण करने अपने गांव व किन्नौर से बाहर आई थी तब मैंने कुछ इलाकों में देखा लड़कियों की शादी कम उम्र में ही करवाई जाती है। हमारे किन्नौर में भी इस तरह का रिवाज था जिसमें लड़कियों को लड़को द्वारा शादी करने के लिए ‘खींचकर’ (लड़की की मर्ज़ी जाने बिना) ले जाया जाता था परंतु वक्त के साथ साथ यह सब कुछ खत्म हो गया है। लोगों में जागरूकता पैदा हो रही है। पुराने जमाने में लोग बहुत कम पढ़े लिखे होते थे जिसकी वजह से उन्हें इन सब चीजों का ज्ञान नहीं था लेकिन आज के समय में लोग अत्यधिक मात्रा में पढ़े लिखे हैं और उन्हें उन सब चीजों की समझ है जो हमारे समाज के लिए अच्छा व बुरा है।
(यह कहानी सर्व प्रथम वॉइसेस ऑफ़ रूरल इंडिया पर प्रकाशित की गयी थी)
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